Peyush Bansal Net Worth: भारत के सबसे चर्चित उद्यमियों में से एक, पीयूष बंसल आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। लेंसकार्ट के सह-संस्थापक और सीईओ के रूप में, उन्होंने न केवल भारत में चश्मा उद्योग को एक नया आयाम दिया, बल्कि शार्क टैंक इंडिया जैसे मंच के जरिए लाखों युवा उद्यमियों को प्रेरित भी किया। उनकी मेहनत, दूरदर्शिता और नवाचार ने उन्हें भारत के सबसे प्रभावशाली बिजनेस लीडर्स में से एक बना दिया है। इस ब्लॉग में हम पीयूष बंसल की नेट वर्थ, उनकी यात्रा, उनके व्यवसाय और उनकी उपलब्धियों के बारे में विस्तार से बात करेंगे। 2025 तक की नवीनतम जानकारी के आधार पर, उनकी नेट वर्थ लगभग 700 करोड़ रुपये (लगभग 79 मिलियन डॉलर) होने का अनुमान है। आइए, उनकी इस शानदार यात्रा को चार हिस्सों में समझते हैं।
Table of Contents
1. प्रारंभिक जीवन और शिक्षा: सपनों की नींव
पीयूष बंसल का जन्म 26 अप्रैल 1985 को नई दिल्ली में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम बल किशन बंसल और माता का नाम किरण बंसल है। बचपन से ही पीयूष में कुछ अलग करने की चाह थी। उन्होंने दिल्ली के डॉन बॉस्को स्कूल से अपनी शुरुआती शिक्षा पूरी की और फिर कनाडा की मैकगिल यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की। उनकी शैक्षिक योग्यता यहीं नहीं रुकी; उन्होंने भारत लौटकर आईआईएम बैंगलोर से उद्यमिता में पोस्टग्रेजुएट डिग्री (MPEFB) भी हासिल की।
पीयूष की शिक्षा ने उन्हें तकनीकी और व्यावसायिक दोनों दृष्टिकोण दिए। मैकगिल यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान उन्हें 2006 में ब्रिटिश एसोसिएशन मेडल से सम्मानित किया गया, जो उनकी प्रतिभा का प्रतीक था। पढ़ाई पूरी करने के बाद, उन्होंने माइक्रोसॉफ्ट में प्रोग्राम मैनेजर के रूप में काम किया, लेकिन उनका मन हमेशा कुछ नया करने में लगा रहा। केवल एक साल बाद, उन्होंने माइक्रोसॉफ्ट की नौकरी छोड़ दी और भारत लौट आए ताकि अपने उद्यमी सपनों को साकार कर सकें।
2. लेंसकार्ट की शुरुआत: एक क्रांतिकारी विचार
2007 में भारत लौटने के बाद, पीयूष ने अपनी पहली कंपनी, सर्चमाईकैंपस.कॉम, शुरू की, जो कॉलेज छात्रों के लिए एक क्लासिफाइड वेबसाइट थी। इस वेंचर ने उन्हें भारतीय बाजार को समझने में मदद की। इसके बाद, उन्होंने वैल्यू टेक्नोलॉजीज की स्थापना की, जो कई ई-कॉमर्स वेबसाइट्स चलाती थी। हालांकि, 2010 में उन्होंने अपने दो सह-संस्थापकों, अमित चौधरी और सुमीत कपाही के साथ लेंसकार्ट की शुरुआत की, जो उनकी सबसे बड़ी सफलता बन गई।
लेंसकार्ट की शुरुआत केवल ऑनलाइन कॉन्टैक्ट लेंस बेचने के मॉडल के साथ हुई थी, लेकिन जल्द ही यह कंपनी चश्मे और सनग्लासेस के क्षेत्र में भी विस्तार करने लगी। 2012 तक, लेंसकार्ट ने ऑफलाइन स्टोर्स खोलना शुरू किया और आज यह भारत में 1000 से अधिक स्टोर्स के साथ सबसे बड़ा आईवियर ब्रांड है। 2025 में लेंसकार्ट की वैल्यूएशन 5.6 बिलियन डॉलर (लगभग 45,000 करोड़ रुपये) तक पहुंच चुकी है, जो इसे भारत के सबसे मूल्यवान स्टार्टअप्स में से एक बनाती है।
पीयूष की रणनीति और तकनीकी नवाचार ने लेंसकार्ट को एक यूनिकॉर्न बनाया। 2019 में, कंपनी ने 1.5 बिलियन डॉलर की वैल्यूएशन के साथ यूनिकॉर्न का दर्जा हासिल किया, और 2023 में अबू धाबी इनवेस्टमेंट अथॉरिटी (ADIA) से 500 मिलियन डॉलर की फंडिंग ने इसकी वैल्यूएशन को और बढ़ाया। पीयूष की मेहनत और दृष्टिकोण ने न केवल लेंसकार्ट को बल्कि पूरे भारतीय चश्मा उद्योग को बदल दिया।
3. नेट वर्थ का स्रोत: लेंसकार्ट और निवेश
2025 तक, पीयूष बंसल की नेट वर्थ लगभग 700 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। उनकी संपत्ति का मुख्य स्रोत लेंसकार्ट में उनकी हिस्सेदारी है, जो कंपनी की 5.6 बिलियन डॉलर की वैल्यूएशन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके अलावा, पीयूष ने शार्क टैंक इंडिया के माध्यम से कई स्टार्टअप्स में निवेश किया है, जिनमें रेजरपे, लोका, इसाक फ्रेग्रन्स, और विवालाइफ जैसे नाम शामिल हैं। शार्क टैंक इंडिया के चौथे सीजन में, उन्होंने NOOE में 5 करोड़ रुपये में 51% हिस्सेदारी खरीदी, जो उनके निवेश के प्रति उत्साह को दर्शाता है।
पीयूष की आय का एक हिस्सा उनकी सैलरी से भी आता है। लेंसकार्ट के सीईओ के रूप में उनकी वार्षिक सैलरी लगभग 28 करोड़ रुपये बताई जाती है। इसके अलावा, रियल एस्टेट में उनकी संपत्तियां, जैसे दिल्ली के नीति बाग में 469.7 वर्ग मीटर का आलीशान घर, और लग्जरी कारें जैसे बीएमडब्ल्यू 7 सीरीज (लगभग 1.7 करोड़ रुपये) भी उनकी संपत्ति का हिस्सा हैं। 2023 में, उन्होंने नीति बाग में इस घर के लिए 1.08 करोड़ रुपये की स्टैंप ड्यूटी चुकाई थी।
शार्क टैंक इंडिया में उनकी प्रति एपिसोड फीस 7 लाख रुपये बताई जाती है, जो उनकी लोकप्रियता और प्रभाव को दर्शाती है। पीयूष का निवेश दृष्टिकोण सामाजिक प्रभाव और तकनीकी नवाचार पर केंद्रित है, जिसने उनकी नेट वर्थ को और बढ़ाने में मदद की है।
4. शार्क टैंक इंडिया और सामाजिक प्रभाव
शार्क टैंक इंडिया ने पीयूष बंसल को एक घरेलू नाम बना दिया। उनकी शांत और सहानुभूतिपूर्ण शैली, विशेष रूप से सामाजिक प्रभाव वाले स्टार्टअप्स के प्रति उनका झुकाव, ने उन्हें दर्शकों का पसंदीदा बना दिया। जुगाड़ू कमलेश जैसे उद्यमियों में निवेश करके, उन्होंने न केवल व्यवसायों को समर्थन दिया, बल्कि भारतीय ग्रामीण नवाचार को भी प्रोत्साहित किया।
पीयूष का मानना है कि व्यवसाय केवल मुनाफे के लिए नहीं, बल्कि समाज को बेहतर बनाने के लिए भी होना चाहिए। लेंसकार्ट के माध्यम से, उन्होंने भारत में उन लाखों लोगों तक चश्मे की पहुंच बनाई, जिन्हें इसकी जरूरत थी लेकिन वह इसे वहन नहीं कर सकते थे। उनकी कंपनी अब एक मेगा-यूनिट राजस्थान में बना रही है, जो प्रति वर्ष लगभग 5 बिलियन चश्मे बनाएगी। यह न केवल उनकी व्यावसायिक सफलता को दर्शाता है, बल्कि उनकी सामाजिक जिम्मेदारी को भी उजागर करता है।
निष्कर्ष: एक प्रेरणादायक यात्रा
पीयूष बंसल की कहानी मेहनत, नवाचार और दृढ़ संकल्प की कहानी है। माइक्रोसॉफ्ट में एक आकर्षक नौकरी छोड़ने से लेकर लेंसकार्ट जैसे यूनिकॉर्न को खड़ा करने तक, उनकी यात्रा हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों को सच करना चाहता है। उनकी नेट वर्थ, जो 2025 में 700 करोड़ रुपये के आसपास है, उनकी कड़ी मेहनत और स्मार्ट निवेश का परिणाम है।
लेंसकार्ट की वैल्यूएशन और उनके निवेशों के साथ, पीयूष की संपत्ति भविष्य में और बढ़ने की संभावना है। उनकी कहानी हमें सिखाती है कि सही दृष्टिकोण, तकनीकी नवाचार और सामाजिक जिम्मेदारी के साथ, कोई भी अपने क्षेत्र में क्रांति ला सकता है। अगर आप भी अपने सपनों को पूरा करना चाहते हैं, तो पीयूष बंसल की कहानी से प्रेरणा लें और अपने लक्ष्य की ओर बढ़ें। क्या आप पीयूष की तरह अपने सपनों को हकीकत में बदलना चाहेंगे? अपनी राय हमें कमेंट में बताएं!